श्रीजी राधा महारानी को समर्पित व्रत राधा अष्टमी का हिंदू धर्म में खास महत्व है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि राधा रानी और भगवान कृष्ण की एकसाथ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। ज्योतिष के अनुसार, इस बार राधा अष्टमी पर एक नहीं बल्कि कई शुभ संयोग बन रहे हैं जिनमें पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। राधा अष्टमी पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
* राधा अष्टमी कब है:
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि इस बार 10 सितंबर की रात 11।11 बजे शुरू होगी और 11 सितंबर की रात 11 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय से तिथि की गणना के अनुसार, राधा अष्टमी 11 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी।
* राधा अष्टमी पर शुभ संयोग:
ज्योतिष के मुताबिक, इस बार राधा अष्टमी पर प्रीति योग बन रहा है जिसका समापन रात 11:55 बजे होगा। इसके बाद आयुष्मान योग बनेगा। रवि योग रात 9:22 बजे बनेगा और सुबह 6:05 बजे समाप्त होगा। राधा अष्टमी पर भद्रावास योग का निर्माण भी हो रहा है जो सुबह 11:35 बजे तक रहेगा। इस योग में राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनवांछित फल मिलता है।
* राधा अष्टमी पर पूजा का समय और शुभ मुहूर्त:
– सूर्योदय- सुबह 6:04 बजे
– सूर्यास्त- शाम 6:31 बजे
– चंद्रोदय- दोपहर 1:20 बजे
– चंद्रास्त- रात 11:26 बजे
– ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:32 बजे से लेकर 5:18 बजे तक
– विजय मुहूर्त- दोपहर 2:22 बजे से लेकर 3:12 बजे तक
– गोधूलि मुहूर्त- शाम 6:31 बजे से लेकर 6:54 बजे तक
– निशिता मुहूर्त- रात 11:54 बजे से लेकर 12:41 बजे तक
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए क्यों मनाई जाती है राधा अष्टमी, क्या है इस दिन का महत्व और इस साल कब पड़ रहा है राधा अष्टमी का त्योहार।
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