हिंदू धर्म में माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सेहत के लिए कई व्रत रखती हैं। इन व्रतों में महत्वपूर्ण उपवास है जीवित्पुत्रिका व्रत इस व्रत को जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है।यह उपवास आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपनी संतान के लिए लंबी उम्र और सेहत का वरदान मांगती है।
* कब है जीवित्पुत्रिका व्रत:
इस वर्ष आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर शुरू होकर 25 सितंबर बुधवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक है। जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर बुधवार को रखा जाएगा। तीज की तरह यह व्रत भी निर्जला किया जाता है। बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस व्रत का ज्यादा प्रचलन है।
* जीवित्पुत्रिका व्रत महत्व:
पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली माताओं को कभी अपनी संतान के वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही संतान को लंबी उम्र और जीवन भर के दुःख और तकलीफ से सुरक्षा प्राप्त होती है।
* महाभारत काल से संबंध:
महाभारत के दौरन द्रोर्णाचार्य की मृत्यु से आहत उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों के पांचों पुत्र का वध कर दिया था। ये सभी द्रौपदी की संताने थी। इसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्यमणि छीन ली। इससे अश्वत्थामा और अधिक नाराज हो गए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को उसके गर्भ में ही नष्ट कर दिया। भगवान कृष्ण ने उत्तरा की संतान की रक्षा के लिए अपने सभी पुण्य का फल उसे देकर फिर जीवित कर दिया। पुनः जीवित होने की वजह से उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया और जीवित्पुत्रिका की तरह मृत्यु के अभय प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा जाने लगा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए इस वर्ष कब है जीवित्पुत्रिका व्रत, पूजा मुहूर्त और महाभारत काल से इस व्रत का संबंध क्या है।
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