जानिए इस साल राधाष्टमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन की शास्त्रीय विधि के बारे में – Know about the date of radhastami this year, puja time and classical method of worship

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जानिए इस साल राधाष्टमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन की शास्त्रीय विधि के बारे में - Know about the date of radhastami this year, puja time and classical method of worship

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और उनके छठी महोत्सव के बाद श्रद्धालुओं के बीच राधाष्टमी का इंतजार बढ़ गया है। श्रीकृष्ण के प्रेम का साकार रूप कही जाने वाली राधाजी के जन्म का उत्सव जन्माष्टमी के 15 दिन बाद यानी भाद्रपद शुक्लपक्ष अष्टमी को मनाया जाता है। मान्यता है कि राधा रानी की पूजा किए बिना श्रीकृष्ण के पूजन का अधूरा फल ही मिलता है। आइए, जानते हैं कि इस साल राधाष्टमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन की शास्त्रीय विधि क्या है? साथ ही राधाष्टमी का व्रत कैसे रखा जाता है?

* राधाष्टमी के व्रत और पूजन का महत्व क्या है?

सनातन हिंदू धर्म में राधा-कृष्ण की पूजा और उपासना का बहुत खास महत्व है। राधाष्टमी के व्रत का महत्व बताते हुए साधु-संतों को भक्ति से भाव विभोर होते देखा जाता है। मान्यता है कि राधाष्टमी के शुभ अवसर पर व्रत रखने, विधि-विधान से राधा रानी का पूजन और भजन करने से भक्तों के प्रेम और दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

* इस साल राधाष्टमी की तिथि क्या है:

राधा रानी का जन्मदिन जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाया जाता है। इस साल राधाष्टमी का व्रत और त्योहार 11 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। खास कर ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में राधाष्टमी के त्योहार की खास रौनक रहती है। देश और दुनिया के भक्त और श्रद्धालु, इस शुभ अवसर पर यहां दर्शन करने आते हैं।

* राधाष्टमी पूजा का मुहूर्त:

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर 2024 की रात में 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन अगले दिन 11 सितंबर 2024 को रात 11 बजकर 26 मिनट पर होगा। इसलिए सूर्योदय के हिसाब से 11 सितंबर को राधाष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11।03 से दोपहर 01।32 मिनट के बीच करना सबसे ज्यादा फलदायी बताया जा रहा है। भक्तों को पूजा के लिए 2 घंटे 29 मिनट का सबसे बेहतर समय मिल रहा है।

* राधाष्टमी की पूजा का फल:

जन्माष्टमी पर व्रत रखने और पूजा करने वालों के लिए राधाष्टमी पर राधा रानी की भी पूजा करने की धार्मिक मान्यता है। भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों को राधाष्टमी पर पूजा जरूर करनी चाहिए। क्योंकि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधाष्टमी की पूजा करने पर ही भक्तों को पूरा फल मिलता है। राधाजी प्रेम और भक्ति का साकार रूप हैं। राधा रानी की उपासना से भक्तों के जीवन में प्रेम, वैवाहिक जीवन में स्थिरता, रिश्तों में मिठास और स्थायित्व बढ़ता है।

* राधाष्टमी पर व्रत कैसे रखें, क्या है पूजा विधि:

शास्त्रीय मान्यताओं के मुताबिक, राधाष्टमी की तिथि पर सुबह उठकर नित्य कर्म और स्नान वगैरह से निवृत्त होकर और साफ कपड़े पहनकर शांत मन से राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा करें। संकल्प लेकर पूरे दिन का व्रत रखना चाहिए। अपने स्वास्थ्य को देखते हुए दिन में एक समय फलाहार किया जा सकता है।

संतों ने पूजन विधि के बारे में बताया है कि राधाष्टमी पर पूजन के लिए पांच रंग के चूर्ण से मंडप का निर्माण उसके भीतर षोडश दल के आकार का कमल यंत्र बनाना चाहिए। फिर इस कमल के बीच में सुंदर और सजे हुए आसन पर श्रीराधा-कृष्ण की युगल मूर्ति को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद युगल मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल) से स्नान कराकर उनका श्रृंगार करना चाहिए। इसके बाद ठीक क्रम से धूप, दीप, फूल, नैवेद्य वगैरह अर्पित करना चाहिए। राधा चालीसा का पाठ कर, आरती उतारें। पूजा के अंत में भूल-चूक के लिए क्षमा मांगकर शांति मंत्र का पाठ करना चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए इस साल राधाष्टमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन की शास्त्रीय विधि के बारे में –

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