हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। आमतौर पर यह अगस्त या सितंबर का महीना होता है। इस साल हरतालिका तीज 6 सितंबर को मनाई जाएगी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की अराधना के लिए समर्पित है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास करती हैं। साथ ही सोलह श्रृंगार करती हैं। आपको बता दें कि इस दिन किए जाने वाले 16 श्रृंगारों का खास महत्व होता है, जिसके बारे में आपको आगे आर्टिकल बताया जा रहा है।

* हरतालिका तीज पर सोलह श्रृंगार का महत्व:

हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के बीच सोलह श्रृंगार करने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं गौरी शंकर को पूरे सोलह श्रृंगार भी पूजा के दौरान अर्पित करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

16 श्रृंगार हरतालिका तीज के दौरान विवाहित महिलाओं के लिए एक जरूरी हिस्सा है। श्रृंगार का पहला चरण स्नान होता है।

इसके बाद पारंपरिक साड़ी या लहंगा चुनरी पहनी जाती है और फिर माथे पर बिंदी लगाई जाती है। इसके बाद सिंदूर लगाया जाता है और गले में मंगलसूत्र पहना जाता है, जो विवाहित होने का प्रतीक है।

16 श्रृंगारों में मेंहदी भी शामिल है। इस दिन चूड़ियां, नथ, अंगूठी, झुमके, बिछिया और पायल भी पहनी जाती हैं। हरतालिका तीज विवाह के बंधन को संजोता है और एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान को बढ़ाता है।

* हरतालिका तीज की तिथि और मुहूर्त:

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 6 सितंबर शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। तीज का व्रत 6 सितंबर गुरुवार को रखा जाएगा। इसके अगले दिन 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का उत्सव शुरू होगा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार करने के महत्व के बारे में –

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