एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। एक साल में 24 एकादशी पड़ती हैं। व्रतराज ग्रंथ में बताया गया है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ‘अजा एकादशी’ कहा जाता है। इस व्रत का अत्यंत महत्व है। अजा एकादशी का व्रत रखने से धन और सुख की प्राप्ति होती है और माना जाता है कि हर तरह की चिंताएं दूर हो जाती हैं। जानिए किस तरह श्रीहरि की पूजा की जा सकती है संपन्न जिससे जीवन में छाए दुखों से मिल जाती है मुक्ति।
* अजा एकादशी कब है:
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी गुरुवार, 29 अगस्त देर रात 1 बजकर 19 मिनट से अजा एकादशी शुरू हो जाएगी और शुक्रवार, 30 अगस्त देर रात 1 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय और व्रत की तिथि का योग यानी उदयातिथि के अनुसार अजा एकादशी का व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा।
* अजा एकादशी पर शुभ योग और पारण का समय:
इस बार अजा एकादशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। गुरुवार को पड़ने की वजह से इस बार इस एकादशी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अजा एकादशी के पारण का समय शुक्रवार, 30 अगस्त की सुबह 7 बजकर 49 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक है। हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 7 बजकर 49 मिनट है। पारण का कुल समय 42 मिनट तक रहेगा।
* अजा एकादशी का क्या महत्व है:
अजा एकादशी भगवान श्रीहरि के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस व्रत को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के सबसे बड़े उपायों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, हर तरह के पाप मिट जाते हैं, तरक्की और शांति मिलती है, मोक्ष प्राप्त होता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु की इस एकादशी की कथा सुनने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
अजा एकादशी का व्रत करने से दूर हो जाएंगी सभी परेशानियां, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त –
All troubles will go away by fasting on aja ekadashi, know the auspicious time of worship