जानिए भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत कब है, इसके समय और नियमों के बारे में – Know when is the first pradosh fast of bhadrapada month, about its time and rules

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जानिए भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत कब है, इसके समय और नियमों के बारे में - Know when is the first pradosh fast of bhadrapada month, about its time and rules

प्रदोष व्रत वो दिन होता है जब शिव भक्त भोलेनाथ और माता पार्वती का सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं। खास बात ये है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का नटराज स्वरूप पूजा जाता है। इस व्रत को प्रदोष व्रत कहने की भी खास वजह है। असल में इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन शाम के समय में यानी सूर्यास्त के बाद संध्याकाल में होता है। इसलिए इसे प्रदोष का व्रत कहकर पुकारा जाता है।

* कब है भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत?

जो शिवभक्त नियमित रूप से प्रदोष का व्रत रखते हैं वो जरूर जानना चाहते हैं कि भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा। ऐसे भक्तों को बता दें कि भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। यानी अगस्त माह की अंतिम तारीख को रखा जाएगा। किसी भी हिंदी माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर ही प्रदोष का व्रत आता है। इस हिसाब से भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त को है। इसलिए उपवास भी इसी दिन रखा जाएगा।

* प्रदोष व्रत का समय:

भाद्रपद माह की इस तिथि का शुभारंभ 31 अगस्त को रात 2 बजकर 25 मिनट से होगा, जो अगले दिन 1 सितंबर की रात 3 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगा। इस बीच पूजा का शुभ समय क्या है वो भी जान लीजिए। पूजन के लिए भक्तों को शाम 6 बजकर 43 मिनट से लेकर रात के 08 बजकर 59 मिनट तक का समय मिलेगा।

* क्या है पूजन विधि?

व्रत के पूजन के लिए भले ही समय निर्धारित है लेकिन इसकी तैयारी सुबह उठने के साथ ही शुरू हो जाती है। पूजन के लिए भक्त सुबह उठें और सबसे पहले स्नान करके खुद को शुद्ध करें। इसके बाद अपने पूजन के स्थान को अच्छे से साफ करें। यहां माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन करें और दिनभर के व्रत का संकल्प लें।

पूजन के समय से पहले पूजन की पूरी तैयारी कर लें। जैसे जरूरी सामग्री को चुन लें। भगवान का स्थान साफ करें। नवैद्य तैयार करें। ये सारे काम करते हुए मन में भगवान का जाप करते रहें। जैसे ही पूजन का समय हो एक साफ चौकी रखें। इस चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वत की प्रतिमा रखें। अब पंचामृत लेकर, उससे भगवान शिव का अभिषेक करें। भगवान के समक्ष, देसी घी का दीपक प्रज्वलित करना न भूलें। पंचामृत अर्पित करने के बाद भगवान को चंदन और कुमकुम से तिलक करें। साथ ही उन्हें गुड़हल, कनेर और मदार के पुष्प भी अर्पित करें। इस दिन नवैद्य में खीर, हलवा, फल, कुछ घर का बना हुआ मीठा तैयार किया जाता है। इसे भी भगवान को अर्पित करें।

पूजन में पंचाक्षरी मंत्र, शिव चालीसा और प्रदोष व्रत की कथा का पाठ जरूर करें।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत कब है, इसके समय और नियमों के बारे में –

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