श्रावण माह के प्रति मंगलवार मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। मान्यतानुसार मंगला गौरी व्रत पर मां गौरी का वैवाहिक महिलाएं पूरे मनोभाव से पूजन करती हैं। माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत करने पर जीवन में खुशहाली आती है और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान सुख पाने के लिए भी करती हैं। माता पार्वती के साथ ही महिलाएं इस दिन महादेव की पूजा भी करती हैं।

* दूसरा मंगला गौरी व्रत: 

 

मंगला गौरी व्रत के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं और मां गौरी का ध्यान करके मंगला गौरी व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां गौरी की प्रतिमा उसपर स्थापित की जाती है। पूजा के लिए मां गौरी के समक्ष दीया प्रज्जवलित किया जाता है। पूजा सामग्री में धूप, नैवेद्य, फल और फूल आदि लिए जाते हैं और मां गौरी के समक्ष अर्पित किए जाते हैं। पूजा संपन्न होने के बाद मां गौरी से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की कामना की जाती है।

* गौरी चालीसा: 

।।चौपाई।।

मन मंदिर मेरे आन बसो,

आरम्भ करूं गुणगान,

गौरी माँ मातेश्वरी,

दो चरणों का ध्यान।

पूजन विधि न जानती,

पर श्रद्धा है अपार,

प्रणाम मेरा स्वीकारिये,

हे माँ प्राण आधार।

नमो नमो हे गौरी माता,

आप हो मेरी भाग्य विधाता,

शरणागत न कभी घबराता,

गौरी उमा शंकरी माता।

आपका प्रिय है आदर पाता,

जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,

महादेव गणपति संग आओ,

मेरे सकल क्लेश मिटाओ।

सार्थक हो जाए जग में जीना,

सत्कर्मो से कभी हटूं ना,

सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,

सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।

हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,

मन भावन सुयोग मिला दो,

मन को भाए वो वर चाहूं,

ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।

परम आराध्या आप हो मेरी,

फ़िर क्यों वर में इतनी देरी,

हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,

थोडे़ में बरकत भर दीजियो।

अपनी दया बनाए रखना,

भक्ति भाव जगाये रखना,

गौरी माता अनसन रहना,

कभी न खोयूं मन का चैना।

देव मुनि सब शीश नवाते,

सुख सुविधा को वर मैं पाते,

श्रद्धा भाव जो ले कर आया,

बिन मांगे भी सब कुछ पाया।

हर संकट से उसे उबारा,

आगे बढ़ के दिया सहारा,

जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,

निराश मन में आस जगावे।

शिव भी आपका काहा ना टाले,

दया दृष्टि हम पे डाले,

जो जन करता आपका ध्यान,

जग में पाए मान सम्मान।

सच्चे मन जो सुमिरन करती,

उसके सुहाग की रक्षा करती,

दया दृष्टि जब माँ डाले,

भव सागर से पार उतारे।

जपे जो ओम नमः शिवाय,

शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,

जिसपे आप दया दिखावे,

दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।

सात गुण की हो दाता आप,

हर इक मन की ज्ञाता आप,

काटो हमरे सकल क्लेश,

निरोग रहे परिवार हमेशा।

दुख संताप मिटा देना माँ,

मेघ दया के बरसा देना माँ,

जबही आप मौज में आय,

हठ जय माँ सब विपदाएं।

जिस पे दयाल हो माता आप,

उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,

फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,

श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।

अवगुण दृष्टि दृष्टि दृष्टि मेरे ढक देना माँ,

ममता आंचल कर देना मां,

कठिन नहीं कुछ आपको माता,

जग ठुकराया दया को पाता।

बिन पाऊ न गुन माँ तेरे,

नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,

जितने आपके पावन धाम,

सब धामो को मां प्राणम।

आपकी दया का है ना पार,

तभी को पूजे कुल संसार,

निर्मल मन जो शरण में आता,

मुक्ति की वो युक्ति पाता।

संतोष धन्न से दामन भर दो,

असम्भव को माँ सम्भव कर दो,

आपकी दया के भारे,

सुखी बसे मेरा परिवार।

आपकी महिमा अति निराली,

भक्तो के दुःख हरने वाली,

मनोकामना पुरन करती,

मन की दुविधा पल मे हरती।

चालीसा जो भी पढें सुनाया,

सुयोग वर् वरदान में पाए,

आशा पूर्ण कर देना माँ,

सुमंगल साखी वर देना माँ।

गौरी माँ विनती करूँ,

आना आपके द्वार,

ऐसी माँ कृपा किजिये,

हो जाए उद्धार।

हीं हीं हीं शरण में,

दो चरणों का ध्यान,

ऐसी माँ कृपा कीजिये,

पाऊँ मान सम्मान।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

 

जानिए दूसरे मंगला गौरी व्रत के दिन किस तरह मां गौरी की पूजा की जा सकती है और कैसे गौरी चालीसा का पाठ करके माता रानी का आशीर्वाद पाया जाता है। Know how maa gauri can be worshiped on the second mangala gauri vrat and how to get the blessings of mata rani by reciting gauri chalisa

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