भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है। महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखकर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करती हैं। उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में महिलाएं तीज व्रत रखती हैं और कई राज्यों में इस व्रत को निर्जला रखा जाता है। सौभाग्य के इस व्रत की तैयारी महिलाएं बहुत पहले से करने लगती हैं। हरतालिका तीज व्रत के दिन नए वस्त्र धारण करने और सुहाग की चीजें दान करने का अत्यधिक महत्व होता है।
* हरतालिका तीज का व्रत:
इस बार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर, गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 6 सितंबर, शुक्रवार को सुबह 3 बजकर 1 मिनट तक है। तीज का व्रत 6 सितंबर के दिन ही रखा जाएगा।
* हरतालिका तीज की पूजा विधि:
हरितालिका तीज के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि के बाद मिट्टी से भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की स्थापना करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं और दुर्वा चढ़ाएं। इसके बाद विधि-विधान से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। माता पार्वती को सुहाग की चीजें लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी आदि चढ़ाएं और हरतालिका तीज की व्रत कथा का पाठ करें।
* क्यों किया जाता है हरतालिका तीज का व्रत:
विवाहित महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का व्रत बहुत महत्व है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग को अखंड रखने के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती (Mata Parvati) ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मिट्टी से उनकी प्रतिमा बनाकर कठोर तप किया था और भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को भगवान शिव की कृपा से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए इस साल कब रखा जाएगा हरतालिका तीज का व्रत – Know when the fast of hartalika teej will be observed this year