मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पंजाब राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर पठानकोट के निकट शाहपुरकंडी के पहाड़ी इलाके में स्थित है। यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
यह माना जाता है कि मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था। वे इस स्थान पर भगवान शिव की आराधना करते थे।
एक अन्य कथा के अनुसार, राक्षस राजा रावण ने यहाँ कठोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और वरदान मांगा। इसी कारण से यह स्थल महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंदिर का नाम “मुक्तेश्वर” का अर्थ है “मुक्ति के भगवान”। यह नाम यह संकेत करता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की उपासना से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है मंदिर परिसर में प्राचीन गुफाएँ भी हैं, जिनमें पांडवों के समय के शिलालेख और नक्काशी देखी जा सकती है।
इन गुफाओं का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की वास्तुकला प्राचीन हिन्दू मंदिर निर्माण शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में देवी पार्वती, भगवान गणेश और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।
हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। यह समय मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन का होता है। सावन के महीने में भी यहाँ भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इस समय भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों को जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आज भी मुक्तेश्वर महादेव मंदिर भक्तों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। मंदिर का प्रबंधन स्थानीय मंदिर समिति द्वारा किया जाता है, जो यहाँ के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है। मंदिर के चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता भी यहाँ आने वालों के मन को शांति और सुकून प्रदान करती है।
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पंजाब का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राचीनता, स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है।
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास – History of mukteshwar mahadev temple