सनातन धर्म में घर हो या मंदिर, दिन में दो बार भगवान को भोग जरूर लगाया जाता है। देवी देवताओं को भोग लगाने के कई नियम है जिनका पालन करना जरूरी कहा जाता है। लेकिन जानकारी के अभाव में कुछ लोग भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद को वहीं छोड़ देते हैं। ऐसा करना शास्त्रों में गलत कहा गया है। आपको बता दें कि देवी देवताओं की पूजा के साथ साथ भोग और प्रसाद के भी कई नियम हैं जिनका पालन करने पर आपको प्रभु की कृपा जरूर मिलेगी।
* भगवान के भोग को ज्यादा देर तक मंदिर में ना रखें:
अगर आप मंदिर या अपने घर के पूजा स्थान में भगवान को भोग लगा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि भोग लगाने के बाद भोग को वहां ज्यादा देर तक नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने पर भोग लगाने पर मिलने वाला फल खत्म हो जाता है और उसे अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर आपने भोग लगाने के बाद उसे मंदिर में ज्यादा देर तक छोड़ दिया तो राक्षसी शक्तियां प्रवेश कर जाती हैं।
इन शक्तियों के नाम विश्वक्सेन, चंदेश्वर , चंडान्शू और चांडाली कहा गया है। ऐसा भोग ना केवल पूजा का फल खंडित कर देता है बल्कि इसे ग्रहण करने वालों पर भी नकारात्मक शक्तियों का असर होता है।
* भोग लगाने के लिए कौन से बर्तन हैं शुभ:
शास्त्रों में कहा गया है कि ताजा भोग बनाकर भगवान को लगाना चाहिए और साथ ही जल जरूर रखना चाहिए। भोग लगाने के बाद पांच मिनट के भीतर ही इसे पूजाघर से उठाकर लोगों में बांट देना चाहिए। प्रसाद जितने ज्यादा लोगों में बांटा जाएगा, इसका उतना ही शुभ फल प्राप्त होगा। भगवान को लगाने वाले भोग की थाली और बर्तन धातु जैसे सोने, चांदी, पीतल, तांबे या लकड़ी के होने चाहिए। आप चाहें तो मिट्टी के बर्तन में भी भगवान को भोग लगा सकते हैं और ये बहुत ही शुद्ध माना जाता है। अल्युमिनियम, स्टील, लोहा या प्लास्टिक के बर्तन में कभी भी भोग नहीं लगाना चाहिए।
जानिए भगवान को भोग लगाने के नियम के बारे में –
Know about the rules of offering food to god