जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय..।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय..।।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय..।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय..।।