ले लो शरण कन्हैया,
दुनिया से हम हैं हारे,
नहीं ठोर ना ठिकाना,
फिरते हैं मारे मारे,
ले लों शरण कन्हैया,
दुनिया से हम हैं हारे।।
गुजरी है जिंदगानी,
अश्कों को पीते-पीते,
बीती जो मुझ पर बाबा,
किसी और पर न बीते,
छोटी सी जिंदगी है,
और गम है ढेर सारे,
ले लों शरण कन्हैया,
दुनिया से हम हैं हारे।।
अब तक निभाई मैंने,
जिनसे भी रिश्तेदारी,
निकले वही कन्हैया,
सुख चैन के शिकारी
किस पर करें भरोसा,
देते हैं सब दगा रे,
ले लों शरण कन्हैया,
दुनिया से हम हैं हारे।।
माधव सुनाई कर दो,
मुझे आस एक तुम ही से,
वाकिफ हो तुम कन्हैया,
जीवन की हर कमी से,
देते हैं जख्म सारे,
मिलती नहीं दवा रे,
ले लों शरण कन्हैया,
दुनिया से हम हैं हारे।।
ले लो शरण कन्हैया,
दुनिया से हम हैं हारे,
नहीं ठोर ना ठिकाना,
फिरते हैं मारे मारे,
ले लों शरण कन्हैया,
दुनिया से हम हैं हारे।।
ले लो शरण कन्हैया – Le lo sharan kanhaiya