शाही अटाला मस्जिद का इतिहास – History of shahi atala mosque

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शाही अटाला मस्जिद का इतिहास - History of shahi atala mosque

शाही अटाला मस्जिद, जिसे अटाला मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश के जौनपुर में स्थित एक ऐतिहासिक मस्जिद है। 

शाही अटाला मस्जिद का निर्माण 14वीं शताब्दी के अंत में जौनपुर के सुल्तान इब्राहिम शाह शर्की के शासनकाल के दौरान किया गया था। इसका निर्माण 1377 से 1408 ई. के बीच हुआ था।

मस्जिद अपनी अनूठी वास्तुकला शैली, हिंदू, इस्लामी और फारसी वास्तुकला प्रभावों के मिश्रण के लिए प्रसिद्ध है। यह संरचना इस्लामी विशेषताओं के साथ हिंदू मंदिर वास्तुकला का संयोजन प्रदर्शित करती है।

मस्जिद की विशेषता इसका बड़ा प्रांगण है, जो तीन तरफ से मेहराबदार मठों से घिरा हुआ है। इसमें तीन बड़े गुंबद, दो मीनारें और कई छोटे गुंबद हैं। मुख्य प्रवेश द्वार अरबी में जटिल डिजाइनों और शिलालेखों से सजाया गया है। मस्जिद का आंतरिक भाग विशाल है और अलंकृत नक्काशी और सुलेख से सजाया गया है।

मस्जिद की दीवारों और छतों को खूबसूरत फूलों और ज्यामितीय पैटर्न से सजाया गया है। मिहराब (प्रार्थना स्थल) को जटिल रूप से डिजाइन किया गया है और कुरान की आयतों से सजाया गया है। मीनारें गुंबदों से सुसज्जित हैं और इनमें जटिल ज्यामितीय डिजाइन हैं।

शाही अटाला मस्जिद को शर्की वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है। यह जौनपुर की समृद्ध सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। मस्जिद एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण और क्षेत्र में मुसलमानों के लिए धार्मिक महत्व का स्थल है।

पिछले कुछ वर्षों में, मस्जिद की वास्तुशिल्प अखंडता को संरक्षित करने के लिए कई नवीकरण और बहाली के प्रयास किए गए हैं। मस्जिद के संरक्षण और रखरखाव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अहम भूमिका निभाई है।

शाही अटाला मस्जिद उस धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय के प्रमाण के रूप में खड़ी है जो मध्ययुगीन भारत की विशेषता थी। इसकी अनूठी स्थापत्य शैली और ऐतिहासिक महत्व इसे पर्यटकों और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए अवश्य घूमने लायक स्थान बनाता है।

 

शाही अटाला मस्जिद का इतिहास – History of shahi atala mosque