पार्श्वनाथ जैन मंदिर भारत के सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित जैन मंदिरों में से एक है। यह जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है। हालाँकि देश भर में पार्श्वनाथ को समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध में से एक पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में स्थित है।
कोलकाता में पार्श्वनाथ जैन मंदिर की स्थापना 1867 में एक प्रमुख जैन व्यापारी राजा राजेंद्र मल्लिक ने की थी। यह मंदिर तीर्थंकर पार्श्वनाथ के सम्मान में बनाया गया था, और इसका निर्माण स्थापत्य भव्यता और जैन समुदाय की भक्ति को दर्शाता है।
यह मंदिर अपनी आकर्षक वास्तुकला और सुंदर डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है, जो पारंपरिक जैन और बंगाली वास्तुकला शैलियों का मिश्रण प्रदर्शित करता है। मंदिर परिसर में जटिल पत्थर की नक्काशी, खूबसूरती से चित्रित कांच की खिड़कियां और सजावटी रूपांकनों की एक श्रृंखला है। इसे दर्पणों, मोज़ाइक और मीनाकारी के काम से सजाया गया है, जो मंदिर को एक समृद्ध और जीवंत रूप देता है।
मंदिर में प्राथमिक देवता भगवान पार्श्वनाथ हैं, और उनकी मूर्ति मुख्य गर्भगृह में स्थित है। मंदिर में अन्य तीर्थंकरों और देवताओं की भी पूजा की जाती है, जो जैन धर्म की समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा को दर्शाता है।
मुख्य मंदिर के अलावा, परिसर में मंदिर, ध्यान कक्ष और उद्यान भी हैं। यह मंदिर कोलकाता में जैन समुदाय के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है।
मंदिर जैन भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है जो नियमित रूप से प्रार्थना करने और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए आते हैं। मंदिर में विभिन्न जैन त्योहारों और कार्यक्रमों को बड़ी भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पार्श्वनाथ जैन मंदिर जैन धर्म की शिक्षाओं और परंपराओं को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह कोलकाता में जैन संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मंदिर का रखरखाव और संरक्षण स्थानीय जैन समुदाय और मंदिर अधिकारियों द्वारा अच्छी तरह से किया जाता है। मंदिर को उत्कृष्ट स्थिति में रखने का प्रयास किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसकी सुंदरता और विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए बरकरार रहे।
कोलकाता में पार्श्वनाथ जैन मंदिर जैन धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसकी अद्भुत वास्तुकला, आध्यात्मिक महत्व और सांस्कृतिक मूल्य इसे शहर में एक प्रतिष्ठित मील का पत्थर बनाते हैं।
पार्श्वनाथ जैन मंदिर का इतिहास – History of parshvanath jain temple