पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने पर भक्तों को भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है। जल्द ही शनि प्रदोष व्रत रखा जाना है। अप्रैल में पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत की पूजा किस तरह की जाती है और किस तरह महादेव की कृपा पा सकते हैं, जानें यहां।
* शनि प्रदोष व्रत कब है:
हर महीने 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत 6 अप्रैल, शनिवार के दिन रखा जाना है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते इस प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। माना जाता है कि शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ना शुभ होता है। इस संयोग को शुभ और फलदायी माना जाता है। इस शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ-साथ शनि देव की पूजा भी की जा सकती है।
प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। स्नान के बाद पूजा कक्ष में जाकर भगवान शिव का ध्यान लगाकर प्रदोष व्रत का संकल्प लिया जाता है। भक्त भगवान शिव के सुबह के समय भी दर्शन करते हैं और पूजा करते हैं परंतु प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय प्रदोष काल में होती है। प्रदोष काल रात का समय शाम 6 बजकर 11 मिनट से 5 बजकर 35 मिनट के बीच माना जाता है। इस समय भोलेनाथ की पूजा का अत्यधिक लाभ मिलता है।
भगवान शिव की पूजा में ,सफेद चंदन, पंचामृत, कुमकुम, फल, मिठाई, खीर, अक्षत, धतूरा और फूल आदि शामिल किए जाते हैं। शिव चालीसा का पाठ होता है, शिव मंत्रों का जाप किया जाता है और शिव आरती के बाद भोग लगाकर महादेव की पूजा संपन्न होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए किस दिन रखा जाएगा शनि प्रदोष व्रत, पूजा का मुहूर्त और विधि के बारे में –
Know on which day shani pradosh vrat will be observed, its puja time and method