एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है। हर माह की एकादशी की तिथि को भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि को रखे जाने वाले व्रत को विजया एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की अराधना से सभी कष्ट मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कब है विजया एकादशी, महत्व और पूजा की विधि।
* कब है विजया एकादशी:
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी होती है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 7 मार्च को 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। 6 मार्च को एकादशी का व्रत रखा लाएगा।
* विजया एकादशी का महत्व:
धार्मिक मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से विजय की प्राप्ति होती है। भगवान राम ने लंका अधिपति रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए ऋषि बकदाल्भ्य के कहने पर विजया एकादशी का व्रत रखा था। एकादशी का व्रत के प्रभाव के कारण भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त करने में मदद मिली थी।
* विजया एकादशी की पूजा:
विजया एकादशी की पूजा की तैयार एक दिन पहले शुरू करना चाहिए। पूजा के लिए स्थान को शुद्ध कर वहां सप्त अनाज रख देना चाहिए। व्रत के दिन प्रात: स्नान आदि करके मंदिर व पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। पूजा स्थल पर सप्त अनाज के ऊपर तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें। उसके बाद भगवान विष्णु के चित्र की स्थानपा करें और धूप, दीप, चंदन, फल-फूल और तुलसी चढ़ाएं। पूजा के बाद विजया एकादशी की कथा का पाठ करें। रात को श्री हरि नाम का जाप करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)
जानिए विजया एकादशी की तिथि, महत्व और पूजा विधि के बारे में – Know about the date, importance and worship method of vijaya ekadashi