हुथीसिंग जैन मंदिर, जिसे श्री धर्मनाथ जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के अहमदाबाद, गुजरात में स्थित एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है। यह राज्य के सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक है और अपनी स्थापत्य सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
हुथीसिंग जैन मंदिर का निर्माण 1848 में शुरू हुआ और 1850 में पूरा हुआ। इसे एक समृद्ध व्यापारी और धर्मनिष्ठ जैन शेठ हुथीसिंग केसरीसिंह के आदेश पर उनकी पत्नी शेठानी हरकुंवर की याद में बनाया गया था।
मंदिर पारंपरिक जैन मंदिर वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है। यह वास्तुकला शैली का अनुसरण करता है जिसे “दिलवाड़ा शैली” के रूप में जाना जाता है, जो जटिल संगमरमर की नक्काशी और विस्तृत अलंकरण द्वारा विशेषता है। यह मंदिर पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना हुआ है।
मंदिर के मुख्य देवता भगवान धर्मनाथ हैं, जो जैन धर्म के पंद्रहवें तीर्थंकर हैं। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान धर्मनाथ की मूर्ति स्थापित है।
मंदिर परिसर में एक बड़ा प्रांगण शामिल है जो विभिन्न जैन तीर्थंकरों को समर्पित कई छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। प्रत्येक मंदिर में सुंदर नक्काशीदार मूर्तियाँ और डिज़ाइन हैं।
मंदिर अपनी उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें जटिल नक्काशीदार संगमरमर के स्तंभ, अलंकृत तोरणद्वार और नाजुक विवरण शामिल हैं। मंदिर के शिखर सुंदर ढंग से उठे हुए हैं, जो इसे एक दृश्य कृति बनाते हैं।
वर्षों से, मंदिर के वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक मूल्य को संरक्षित करने के लिए रखरखाव और जीर्णोद्धार किया गया है। यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए हैं कि मंदिर जैन विरासत और संस्कृति का प्रतीक बना रहे।
हुथीसिंग जैन मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि अहमदाबाद में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल भी है। यह न केवल जैन श्रद्धालुओं को बल्कि वास्तुकला और कला में रुचि रखने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।
यह मंदिर गुजरात और भारत में जैन समुदाय की समृद्ध विरासत और धार्मिक भक्ति का प्रमाण है। यह जैन धार्मिक गतिविधियों, त्योहारों और अनुष्ठानों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।
अहमदाबाद में हुथीसिंग जैन मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थान है, बल्कि अपने समय की वास्तुकला और कलात्मक कौशल का प्रमाण भी है। यह क्षेत्र में जैन समुदाय के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक योगदान की याद दिलाता है।
हुथीसिंग जैन मंदिर का इतिहास – History of hutheesing jain temple