जलप्रलय के बाद की दुनिया की कहानी बाइबल के पुराने नियम में उत्पत्ति की पुस्तक में, विशेष रूप से अध्याय 6-9 में पाई जाती है। यह महान बाढ़ का विवरण है, एक विनाशकारी घटना जिसमें भगवान ने पृथ्वी की दुष्टता को साफ़ करने के लिए जलप्रलय भेजा था। 

मानवीय दुष्टता पर भगवान का दुःख: कहानी मानवता की बढ़ती दुष्टता और भ्रष्टाचार का वर्णन करके शुरू होती है। भगवान ने लोगों के बुरे कार्यों और विचारों को देखा और दुनिया की स्थिति पर दुःख व्यक्त किया।

नूह की धार्मिकता: व्यापक दुष्टता के बीच, नूह एक धर्मी और निर्दोष व्यक्ति के रूप में सामने आया जो ईश्वर के साथ ईमानदारी से चलता था। उसे परमेश्वर की नज़रों में अनुग्रह मिला।

पृथ्वी को नष्ट करने की ईश्वर की योजना: यह देखते हुए कि मानवता अत्यधिक भ्रष्ट हो गई है, ईश्वर ने पृथ्वी की दुष्टता को साफ़ करने के लिए विश्वव्यापी बाढ़ लाने का निर्णय लिया। उसने खुद को, अपने परिवार को और ज़मीन पर रहने वाले हर प्रकार के जानवरों के प्रतिनिधियों को बचाने के लिए एक जहाज़, एक विशाल नाव बनाने के लिए नूह को चुना।

जहाज़ का निर्माण: भगवान ने नूह को जहाज़ के विशिष्ट आयामों और डिज़ाइन पर निर्देश दिया। नूह ने आज्ञाकारी रूप से भगवान के निर्देशों का पालन किया और अपने परिवार की मदद से जहाज बनाने में कई साल बिताए।

जहाज़ में प्रवेश करना: जैसे ही बाढ़ का पानी बढ़ने लगा, नूह और उसका परिवार, जानवरों के साथ, जहाज़ में प्रवेश कर गए, और भगवान ने उनके पीछे दरवाजा बंद कर दिया।

जलप्रलय: आकाश से वर्षा होने लगी, और जल पृय्वी की गहराइयों से भी फूट पड़ा, और जलप्रलय हुआ, जो चालीस दिन और चालीस रात तक सारी पृय्वी पर छाया रहा।

जहाज़ की यात्रा: बाढ़ जारी रहने के कारण जहाज़ कई महीनों तक पानी पर तैरता रहा। इस दौरान, नूह और उसका परिवार जानवरों की देखभाल करते थे और पानी कम होने का इंतज़ार करते थे।

पानी घट गया: लगभग 150 दिनों के बाद, बाढ़ का पानी घटने लगा और जहाज़ अरारत के पहाड़ों पर रुक गया।

कौआ और कबूतर: नूह ने सूखी भूमि खोजने के लिए एक कौआ और बाद में एक कबूतर भेजा। कबूतर एक जैतून का पत्ता लेकर लौटा, जो दर्शाता है कि पानी पर्याप्त रूप से कम हो गया है।

जहाज़ छोड़ना: जब ज़मीन पूरी तरह से सूख गई, तो भगवान ने नूह और उसके परिवार को जानवरों सहित जहाज़ छोड़ने और पृथ्वी को फिर से आबाद करने का निर्देश दिया।

नूह के साथ परमेश्वर की वाचा: पृथ्वी पर फिर कभी बाढ़ न आने के अपने वादे के संकेत के रूप में, परमेश्वर ने नूह के साथ एक वाचा स्थापित की, जिसका प्रतीक आकाश में इंद्रधनुष था।

जलप्रलय के बाद की दुनिया की कहानी मानवीय दुष्टता के विरुद्ध परमेश्वर के फैसले और धर्मियों के प्रति उसकी दया को दर्शाती है। यह ईश्वर के प्रति आज्ञाकारिता और विश्वासयोग्यता के महत्व पर जोर देता है। नूह की कहानी ईश्वर की अपने वादों के प्रति निष्ठा और मानवता के लिए एक दूसरे के साथ धार्मिकता और सद्भाव में रहने की उनकी इच्छा की याद दिलाती है। बाढ़ कथा अन्य प्राचीन संस्कृतियों में पाए जाने वाले विभिन्न बाढ़ मिथकों को भी आधार प्रदान करती है, जो मानव इतिहास और धार्मिक परंपराओं पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर करती है।

 

World after the flood story – बाढ़ के बाद की दुनिया की कहानी

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