विरुपाक्ष मंदिर भारत के कर्नाटक के हम्पी में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान विरुपाक्ष, भगवान शिव के एक रूप, को समर्पित है।
* प्राचीन उत्पत्ति: मंदिर का इतिहास चालुक्य राजवंश के शासनकाल के दौरान 7वीं शताब्दी ईस्वी में खोजा जा सकता है। मूल मंदिर छोटा और साधारण था, लेकिन सदियों से इसका धीरे-धीरे विस्तार हुआ और इसका महत्व बढ़ गया।
* विजयनगर साम्राज्य: यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य के दौरान अपने चरम पर पहुंच गया, जिसने 14वीं से 16वीं शताब्दी ईस्वी तक इस क्षेत्र पर शासन किया था। विजयनगर राजाओं के संरक्षण में, मंदिर में प्रमुख नवीकरण और परिवर्धन हुआ, जिसमें विभिन्न मंडपों (स्तंभ वाले हॉल), गोपुरम (टॉवर वाले प्रवेश द्वार) और अन्य संरचनाओं का निर्माण शामिल था।
* कृष्णदेवराय का योगदान: विरुपाक्ष मंदिर में सबसे उल्लेखनीय योगदान 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के एक प्रमुख शासक राजा कृष्णदेवराय द्वारा किया गया था। उन्होंने प्रभावशाली नौ-स्तरीय पूर्वी प्रवेश द्वार का निर्माण किया, जिसे राया गोपुरा के नाम से जाना जाता है, जो एक प्रमुख मील का पत्थर है।
* यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल: विरुपाक्ष मंदिर सहित हम्पी को 1986 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था। यह विजयनगर साम्राज्य की राजधानी के रूप में अपने ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व के लिए पहचाना जाता है।
* निरंतरता और पूजा: विजयनगर साम्राज्य के पतन और गिरावट के बावजूद, विरुपाक्ष मंदिर एक सक्रिय पूजा स्थल बना हुआ है। भक्त अभी भी मंदिर में प्रार्थना करने और भगवान विरुपाक्ष से आशीर्वाद लेने आते हैं।
* वास्तुकला और कलाकृति: विरुपाक्ष मंदिर विजयनगर काल की वास्तुकला शैली को प्रदर्शित करता है, जिसमें जटिल नक्काशीदार खंभे, समृद्ध रूप से सजाए गए छत और हिंदू महाकाव्यों के विभिन्न पौराणिक आंकड़ों और दृश्यों को दर्शाती विस्तृत मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर परिसर में एक बड़ा प्रांगण, अन्य देवताओं को समर्पित मंदिर और मनमथा टैंक नामक एक पवित्र टैंक भी शामिल है।
विरुपाक्ष मंदिर विजयनगर साम्राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कलात्मक उत्कृष्टता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह भक्तों, पर्यटकों और विद्वानों को आकर्षित करता रहता है जो इसके वास्तुशिल्प वैभव और आध्यात्मिक माहौल की प्रशंसा करते हैं।
विरुपाक्ष मंदिर का इतिहास – History of virupaksha temple